Sudha Dairy Business:- सरकार ने अब राज्य के कोने-कोने में दूध और अन्य उत्पादों के सुधा डेयरी बूथ विक्रेताओं के लिए बूथों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। आज के समय में कार्यक्षेत्र का कारोबार हर लिहाज से देखा जाता है। संकट कितना भी हो लेकिन दूध की मांग कभी कम नहीं होती। गुंजाइश का एक व्यवसाय बनाने के लिए यह ठीक है।
राज्य सरकार ने इसके लिए मुहैया कराए गए सभी दस्तावेज कुछ महीने पहले ही जारी कर दिए थे। इस लिहाज से देखा जाए तो अगले चार साल में बिहार में सर्कल के सामने 600 सुधा खोली जाएंगी। पशु एवं मत्स्य संरक्षण विभाग बिहार ने कॉम्फेड के माध्यम से इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
Sudha Milk Booth: आज के समय में डेयरी बिजनेस सदाबहार माना जाता है। चाहे कितनी भी क्लिसिस क्यों न हो, लेकिन दूध की डिमांड कभी कम नहीं होती।डेयरी बिजनेस की खासियत यह है कि आप पहले दिन से ही अच्छी कमाई शुरू कर सकते हैं।
बिहार के 534 प्रखंडों में खुलेंगे सुधा डेयरी के बूथ
अब सुधा डेयरी बूथ यानी सुधा डेयरी बूथ बिहार के सभी नगर निकायों और 534 प्रखंडों में खोले जाएंगे। सरकार ऑफ बिहार ने अब सुधा दूध और अन्य उत्पाद बेचने के उद्देश्य से राज्य के कोने-कोने में बूथों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है।
बिहार सरकार ने कुछ महीने पहले जारी किया था यह पत्र
आपको बता दें कि बिहार सरकार (Government of Bihar) ने कुछ महीने पहले सभी डीएम को इसके लिए जमीन उपलब्ध कराने के लिए पत्र जारी (लेटर जारी) किया था। इस दृष्टि से अगले 04 वर्षों में बिहार में 600 सुधा डेयरी बूथ खोले जायेंगे।
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार ने कॉम्फेड के माध्यम से इसकी तैयारी शुरू कर दी है
3 से 4 हजार बेरोजगारों को रोजगार मिलने की संभावना माना जा रहा है कि आमतौर पर एक सुधा मिल्क बूथ पर पांच या इससे अधिक लोगों को रोजगार मिल जाता है। वहीं अगर इस लिहाज से देखा जाए तो करीब 3 से 4 हजार बेरोजगारों को रोजगार मिलने की संभावना है।
आपको बता दें कि हर महीने एक मर्करी (सुधा डेयरी मिल्क बूथ) लाखों की कमाई करती है। इसके जरिए आप अपना खुद का बिजनेस शुरू करते हैं और लाखों रुपए कमा सकते हैं।
सुधा डेयरी का पारा अब भी 50 फीसदी ब्लॉक में
बता दें कि वर्तमान में बिहार के 50 फीसदी प्रखंडों में सुधा डेयरी मिल्क बूथ हैं।
बिहार सरकार ने जिन प्रखंडों में सुधा डेयरी मिल्क बूथ पहले नहीं खोला है। पहले वहां बूथ खोले जाएंगे, बाद में प्रत्येक प्रखंड में आबादी के हिसाब से बूथों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
एवरग्रीन माना जाता है सुधा डेयरी का बिजनेस आज के समय में सुधा डेयरी मिल्क बिजनेस एवरग्रीन माना जाता है। संकट कितना भी हो लेकिन दूध की मांग कभी कम नहीं होती।
हजारों लोगों को मिलेगी नौकरी
माना जाता है कि आमतौर पर एक सीट पर पांच या इससे ज्यादा लोगों को रोजगार मिल जाता है। इस दृष्टि से 3 से 4 हजार हितग्राहियों को रोजगार मिलने की संभावना है। हर महीने एक बैक से लाखों की आमदनी होती है। इसके जरिए आप अपना खुद का बिजनेस शुरू करते हैं और लाखों रुपए कमा सकते हैं।

बता दें कि बिहार के 50 फीसदी प्रखंडों में फिलहाल सुधा सर्कल की बेंच हैं। जिन प्रखंडों में बिहार सरकार ने पहले सुधा के बूथ नहीं खोल। बाद में जन जागरूकता से हर ब्लॉक में बूथों की संख्या बढ़ाई जाएगी। देश में मदर रियलम, सुधा, अमूल, पारस जैसे कई ब्रैंड्स के बूथ मौजूद हैं। आज के समय में हर जगह कार्यक्षेत्र का व्यापार माना जाता है। संकट कितना भी हो लेकिन दूध की मांग कभी कम नहीं होती।
इस तरह होगा खर्च
सुधा रेंज के उत्पादों की बात करें तो इसमें दूध, दही, घी, पनीर, आइसक्रीम जैसे खाद्य उत्पाद शामिल हैं। इसके साथ ही बाजार में सुधा की दुकान भी आ गई है, जो बिहार के गांव-गांव में खूब बिकती है। खासकर त्योहारी सीजन में बिहार में सुधा दूध की मांग काफी बढ़ जाती है। बिहार में एक बूथ बनाने में 5 लाख रुपए का खर्च आता है। एक साइट पर दो गहरे शटर, चार धक्का गाड़ियां, साइन बोर्ड और बिजली के उपकरण माने जाते हैं। बिहार सरकार ने अब तक सिर्फ एक साल के लिए 7 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी है.