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Satish Kaushik: एक सपना जो अधूरा रह गया, मुक्केबाज अमित पंघाल के गुरु पर फिल्म बनाना चाहते थे सतीश कौशिक, दोस्त से सुनी थी कहानी

Satish Kaushik:- देश में एक दुखद खबर के चलते एक शोक का माहौल बना हुआ है। मशहूर अभिनेता और निर्देशक सतीश कौशिक के निधन पर हर कोई हैरान है। मनोरंजन जगत से एक बुरी खबर आई है। मशहूर अभिनेता और निर्देशक सतीश कौशिक अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार तड़के उनका निधन हो गया। सतीश कौशिक 66 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। एक्टर अनुपम खेर ने ट्वीट कर सतीश कौशिक के निधन की जानकारी दी। उन्होंने सतीश कौशिक को श्रद्धांजलि दी है।

सतीश कौशिक हरियाणा के रोहतक के गांव शिमली निवासी मुक्केबाज अमित पंघाल के कोच अनिल धनखड़ के जीवन पर एक फिल्म बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अनिल धनखड़ से मुलाकात भी की थी और इसके ऊपर बातचीत भी होती रहती थी। एक बातचीत में सतीश कौशिक ने बताया था कि उन्होंने अनिल धनखड़ की कहानी के बारे में एक लेखक दोस्त से सुना था। किस प्रकार अनिल ने विपरीत परिस्थितियों में गांव से टैलेंट को खोज निकाला। अनिल धनखड़ ने मुक्केबाजों की फौज तैयार की है। इसी कारण से वह है अनिल बनखंडा के जीवन पर फिल्म बनाना चाहते थे परंतु उनका यह सपना एक सपना ही रह गया और वह भगवान को प्यारे हो गए।

Satish Kaushik ka ek sapna jo adhura reh gaya

सतीश कौशिक को हरियाणा से बहुत प्यार था। उन्होंने कहा था कि मैं भी हरियाणा का रहने वाला हूं और हरियाणा सरकार ने मुझे हरियाणा फिल्म प्रमोशन बोर्ड का चेयरमैन बनाया है। इसलिए भी मेरी जिम्मेदारी बनती है कि हरियाणा के टैलेंट को देश-विदेश तक पहुंचाऊं। अनिल ने देश को अमित पंघाल जैसा बॉक्सर दिया है। उन्होंने निस्वार्थ भाव से टैलेंट को तैयार किया है। ऐसा ही बहुत और भी टैलेंट हरियाणा में है।

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कोच अनिल धनखड़ ने 1999 में पंजाब के पटियाला से प्रशिक्षण का कोर्स कर तक के जाट कॉलेज में मुक्केबाजी केंद्र बनाया। संस्था ने उनको नौकरी दी तो यहीं पर एमफिल तक की पढ़ाई भी की अनिल ने बताया कि पिता महावीर सिंह ने बैंक से सेवा नियुक्त होने पर 2003 में मायना के अकादमी बनाई। जिसमें बच्चों को फ्री में कोचिंग जी और उनके पास डार्लिंग था और उस समय क्षेत्र में कोई मुक्केबाजी के प्रति इंटरेस्ट नहीं था। फिर भी उन्होंने क्षेत्र में मुक्केबाजों को तैयार करने का फैसला लिया। जिन मुक्केबाजों को अनिल ने तैयार किया था उनमें से करीब 50 सरकारी नौकरी पर लग चुके हैं। प्रसिद्ध बॉक्सर अमित पंघाल और अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता मनोज मलिक के पोज भी अनिल ही है। उनके प्रयास से बच्चों ने यूनिवर्सिटी लेवल पर लगातार छह बार ट्रॉफी जीती है।

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